Home / World / Hindi News / यूक्रेन पीस समिट में भारत ने नहीं किया दस्तखत:पश्चिमी देशों के दबाव में फिर नहीं आया देश; साझा बयान पर 7 देशों ने बनाई दूरी

यूक्रेन पीस समिट में भारत ने नहीं किया दस्तखत:पश्चिमी देशों के दबाव में फिर नहीं आया देश; साझा बयान पर 7 देशों ने बनाई दूरी



यूक्रेन युद्ध को रोकने का रास्ता तलाशने के लिए स्विटजरलैंड में दो दिवसीय 15-16जून) शांति सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इस समिट में 100 से अधिक देशों और संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। आखिरी दिन रविवार को इस शांति सम्मेलन के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिस पर 80 से अधिक देशों ने दस्तखत किए। वही भारत, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया, थाइलैंड, मेक्सिको और UAE समेत 7 देशों ने ऐसा नहीं किया। दिलचस्प बात है कि इस कई बार रूस का पक्ष लेने वाले तुर्किये ने इसपर हस्ताक्षर किया है। साझा बयान में क्षेत्रीय अखंडता पर जोर
साझा बयान में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर जोर दिया और कहा गया कि यूक्रेन में शांति कूटनीति से आएगी। इसके अलावा साझा बयान में परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा व कैदियों की अदला-बदली का भी जिक्र किया गया। इटली PM जॉर्जिया मेलनी ने कहा कि ये रूस संग साथ बातचीत के लिए ये न्यूनतम शर्तें हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सम्मेलन को शांति की ओर पहला कदम करार दिया और उसकी सराहना की। जंग रोकने के लिए सभी पक्षों का एकमत होना जरूरी
यूक्रेन पीस समिट में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे विदेश सचिव पवन कपूर ने कहा कि यूक्रेन जंग रोकने के लिए भारत सभी पक्षों के साथ काम करता रहेगा। उन्होंने कहा कि जंग तभी रुकेगी जब दोनों पक्ष एकमत होंगे। वह किसी भी पहल से पहले दोनों पक्षों का रुख जानना चाहेगा। गौरतलब है कि भारत पहले भी यूक्रेन युद्ध के समाधान को लेकर होने वाले समिट्स का हिस्सा बनता रहा है। इससे पहले भारत अगस्त 2023 में सऊदी अरब के जेद्दा में हुए शांति सम्मेलन में शामिल हुआ था। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व NSA अजीत डोभाल ने किया था। तभी भी भारत ने साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे। पहले भी भारत ने नहीं किए साइन
उससे पहले कोपेनहेगन और माल्टा में हुए पीस समिट में भी भारत ने ऐसा ही किया था। भारत यूक्रेन संकट से जुड़ी हर बैठकों में शामिल होता है, लेकिन किसी भी प्रस्ताव को पास करने में अपनी भूमिका से खुद को अलग कर लेता है। भारत का यह रुख यूक्रेन में जंग छिड़ने के बाद से ही है। भारत ऐसा UNSC, संयुक्त राष्ट्र महासभा, इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी और ह्यूमन राइट्स काउंसिल में भी कर चुका है। रूस और यूक्रेन विवाद पर भारत की स्थिति शुरुआत से एक जैसी रही है। दरअसल इस विवाद में अमेरिका और रूस दोनों ही देश आमने सामने हैं। भारत बिना किसी पक्ष लिए तटस्थ रहा है। एक तरफ भारत रूस को हथियारों की खरीद के मामले को प्राथमिकता देता है। वही, दूसरी तरफ अमेरिका से भी भारत के कुछ सालों में बेहतर संबंध हुए हैं। भारत यदि यूक्रेन का समर्थन करता है, तो रूस, चीन-भारत सीमा विवाद पर कूटनीतिक रूप से चीन के पक्ष में जा सकता है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस और चीन के संबंध और बेहतर हुए हैं। ऐसे में भारत एक करीबी साथी को नाराज करने का कोई अवसर नहीं देना चाहेगा। हालांकि कई जानकारों का मानना है कि भारत का ये तटस्थ रुख पहले भी दिख चुका है। 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया था, तब भी भारत इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ नहीं था।


Source link

Check Also

Punjab Mausam: प्रदेश को जल्द भिगोएगा मानसून, 28-29 जून को बरसात का यलो अलर्ट, भारी बारिश की संभावना

पंजाब में 3 से 4 दिन के अंदर मानसून दस्तक दे देगा। Source link