52 दिन चलने वाली अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू हो रही है। इसमें महज 3 दिन बाकी हैं। यात्रा की शुरुआत से पहले ही साधु-संत जम्मू पहुंचने लगे हैं। मंगलवार को LG मनोज सिन्हा, सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने बालटाल बेस कैंप पहुंचे। जहां उन्होंने 100 बेड के हॉस्पिटल का उद्घाटन भी किया। यात्रा शुरू होने से पहले तीर्थयात्रा और नियमित वाहनों पर नजर रखने के लिए जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यातायात विभाग ने उधमपुर से रामबन के बनिहाल तक 360-डिग्री सर्विलांस वाले 10 और पुलिस विभाग ने गाड़ियों और संदिग्धों की पहचान करने के लिए 60 कैमरे लगाए हैं। इन जगहों पर लगे 10 हाई एंड CCTV कैमरे
एसएसपी ट्रैफिक नेशनल हाईवे रोहित बसकोत्रा के मुताबिक ट्रैफिक पर निगरानी के लिए उधमपुर से बनिहाल तक 10 हाई-एंड कैमरे लगाए हैं। इनमें उधमपुर के जाखनी क्षेत्र, दलवास, खोनी नाला, मेहर, बैटरी चश्मा, नचलाना, बनिहाल चौक, सुरंग-5, शालीगढ़ी और कटपॉइंट जैसे स्पॉट शामिल हैं। यातायात पुलिस ने अमरनाथ यात्रा के दौरान नेशनल हाईवे पर आने-जाने वाले वाहन चालकों के लिए एक सलाह भी जारी की है, जिसमें लेन ड्राइविंग पर जोर दिया गया है। पुलिस का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने पर बड़ा जुर्माना लगाया जाएगा। 38 स्पेशल ट्रेंड रेस्क्यू टीमों की तैनाती, मेडिकल सर्विस में बढ़ोतरी
जम्मू में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुईं मुठभेड़ के चलते यात्रा रूट्स पर सुरक्षा कड़ी सुरक्षा की गई है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए दोनों रूट के हाई सिक्योरिटी पॉइंट्स पर पुलिस की 13, SDRF की 11, NDRF की आठ, BSF की चार और CRPF की दो टीमों की तैनाती है। वहीं, श्राइन बोर्ड ने पहली बार मेडिकल व्यवस्थाएं बढ़ाई हैं। बालटाल और चंदनबाड़ी में 100-100 आईसीयू बेड, एडवांस उपकरण, एक्स-रे, अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन, क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट, कार्डियक मॉनिटर, लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से लैस दो कैंप अस्पताल तैयार किए हैं। यहां हवा में ऑक्सीजन कम रहती है, इसलिए यात्रा मार्ग पर 100 स्थाई ऑक्सीजन बूथ और मोबाइल ऑक्सीजन बूथ रहेंगे। पवित्र गुफा, शेषनाग और पंचतरणी में तीन छोटे अस्पताल होंगे। 6 लाख श्रद्धालुओं के हिसाब से इंतजाम, गुफा तक का 14 किमी रूट चौड़ा हुआ
कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधूड़ी के बताया था कि इस बार हमारा फोकस यात्री सुविधा बढ़ाने पर है। पूरे रूट पर खानपान, रुकने और हेल्थ चेकअप की ज्यादा से ज्यादा व्यवस्था की योजना बना गई हैं। उन्होंने कहा था कि पहले पहलगाम से गुफा तक 46 किमी लंबा मार्ग 3 से 4 फीट तो बालटाल वाला रूट 2 फीट ही चौड़ा था। अब इसे 14 फीट तक चौड़ा किया गया है। पिछले बार 4.50 लाख श्रद्धालु आए थे। इस बार आंकड़ा 6 लाख तक जा सकता है। यात्रा कम दिनों की है और भीड़ ज्यादा रहेगी, इसलिए इंतजाम भी ज्यादा किए जा रहे हैं। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, बालटाल से गुफा तक का 14 किमी रूट 7 से 12 फीट तक चौड़ा हो गया है। यह मोटरेबल रोड है। हालांकि अभी सिर्फ BRO सेना की गाड़ियों को ही अनुमति है। इमरजेंसी में इसी का इस्तेमाल होगा। पिछली बार दोनों रूट पर करीब 60 हजार जवान तैनात थे। इस बार लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में तैनात होने वाली अर्द्धसैनिक बलों की सभी 635 कंपनियों को वोटिंग के बाद यात्रा में तैनात किया गया है। पहलगाम रूट
इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।3 किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पर पहुंचती है। इसके बाद यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है। बालटाल रूट: यदि वक्त कम हो, तो बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए बालटाल रूट सबसे मुफीद है। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है। इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर रास्ते संकरे और मोड़ खतरे भरे हैं।
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