पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट स्टोर से चोरी के मामले में 26 साल बाद इंसाफ देते हुए बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता उपमंडलीय अधिकारी के पद पर तैनात था। हाईकोर्ट ने माना कि जांच अधिकारी का दृष्टिकोण एकतरफा और कानूनी रूप से अस्थिर था। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच से अनुपस्थिति को याची के खिलाफ सबूत नहीं माना जा सकता है।
याची ने बताया कि वह मुकेरियां में एक प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा था जब एक स्टोर से 1,52,030 रुपये की सामग्री चोरी हो गई थी। याचिकाकर्ता को सामग्री के गबन के आरोप में चार्जशीट किया गया। सक्षम प्राधिकारी चार्जशीट के जवाब में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं थे, जिसके बाद हाइडल डिजाइन ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक को मामले में जांच अधिकारी नियुक्त किया गया।
याचिकाकर्ता को दंड देने वाले अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया गया, लेकिन वह मौजूद नहीं रहा। इस मामले में सरकार का रुख यह था कि अधिकारी ने सामग्री का गबन किया था और सेवा से बर्खास्तगी की सजा से पहले उसे सही तरीके से दोषी ठहराया गया था। हाईकोर्ट ने माना कि इस मामले में याची के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कोई सबूत पेश नहीं किया गया। जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता की अनुपस्थिति को सबूत के बराबर माना। हाईकोर्ट ने माना कि जांच अधिकारी का दृष्टिकोण एकतरफा है। ऐसे में हाईकोर्ट ने 13 मई, 1997 की विवादित जांच रिपोर्ट और 11 दिसंबर, 1998 के दंड आदेश को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने 8 सितंबर, 1995 के आरोप पत्र के आधार पर नए सिरे से जांच करने के लिए केस वापस भेज दिया।
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