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सच्‍ची जनप्रतिनिधि..बाढ़ में नाव खेकर लोगों को नदी पार करा रहीं वार्ड सदस्‍य उर्मिला देवी, बांट रहीं राशन

सच्‍ची जनप्रतिनिधि..बाढ़ में नाव खेकर लोगों को नदी पार करा रहीं वार्ड सदस्‍य उर्मिला देवी, बांट रहीं राशन

ऐसे समय जब बिहार में बाढ़ के कारण हालात लगातार खराब हो रहे हैं और कोसी नदी अटखेलियां कर रही है, उर्मिला देवी नाम की यह जनप्रतिनिधि लोगों की बढ़-चढ़कर मदद कर रही है.

Image Courtesy Ndtv

पटना : Flood In Bihar: संकट या जरूरत के समय लोग अपने जनप्रतिनिधि को याद करते हैं. उनसे संकट के समाधान की अपेक्षा और उम्मीद रखते हैं, लेकिन ज्‍यादातर बारऐसा हो नहीं पाता है और इससे जनता-जनप्रतिनिधि के बीच की दूरी बढ़ जाती है. दोनों के संबंधों के बीच खटास आ जाती है. लेकिन आम लोगों के तकलीफों-परेशानियों से बेखबर ज्‍यादातर नेताओं के बीच एक जनप्रतिनिधि ऐसी भी है जो खुद अनपढ़ है, अभावों में है. लेकिन जनता की मदद को तत्पर रहती है. वह अपने सीमित संसाधनों से लोगों की जितनी मदद कर सकती है, कर रही है. यह जनप्रतिनिधि पंचायती राज व्यवस्था की अंतिम कड़ी यानी वार्ड सदस्य है और महिला है. ऐसे समय जब बिहार में बाढ़ के कारण हालात लगातार खराब हो रहे हैं और कोसी नदी अटखेलियां कर रही है, उर्मिला देवी नाम की यह जनप्रतिनिधि लोगों की बढ़-चढ़कर मदद कर रही है. गांव के गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं, लोगों के लिए घर से निकलने के साधन नहीं हैं. ऐसे में वार्ड सदस्य उर्मिला देवी (Urmila Devi) खुद नाव चलाकर लोगों को नदी पार करा रही हैं और उनके पास तक पहुंचकर उन्हें राहत सामग्री तक बांट रही है.

कोसी नदी (Kosi River)में नाव खे रही उर्मिला देवी सहरसा जिले (Saharsa District) के बनमा ईटहरी प्रखंड के सहुरिया पंचायत के हराहरी से वार्ड सदस्य हैं. पति बाहरी प्रदेश में मजदूरी करते हैं और वह बच्चों के साथ गांव में ही रहती हैं. कोसी में जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोग मुखिया, सरपंच, विधायक से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर टकटकी लगाए रहते हैं. बाढ़ से घिरे लोगों को यह अपेक्षा रहती है कि वे उनके लिए नाव की व्यवस्था करा देंगे, जिससे वे हाट-बाजार जाकर रसोई सहित अन्य जरूरी के सामान खरीद लेंगे. नाव से मवेशियों के चारा ले आएंगे. लेकिन ज्‍यादातर मौकों पर कोई आता नहीं. ऐसी विषम परिस्थितियों में हराहरी के लोगों के लिए उनकी वार्ड सदस्य उर्मिला देवी हरदम मौजूद रहती हैं. वह खुद नाव चलाकर लोगों तक पहुंचती हैं और नदी में तीन किलोमीटर तक नाव खेकर जरूरतमंदों को नदी के किनारे तक पहुंचाकर फिर वापस ले आती है. यही नही, अभावग्रस्त होने के बाद भी उर्मिला अपनी जमापूंजी से बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री भी बांटती हैं

उर्मिला देवी पढ़ी लिखी नहीं हैं, अंगूठे का निशान लगाना जानती हैं. लेकिन समाज को मानवता और सहयोग करने की शिक्षा दे रही है. वे महिला सशक्‍तीकरण का उदाहरण बनकर लोगों को प्रेरणा दे रही हैं. विनम्रता के साथ उर्मिला कहती है कि बाढ़ की विपदा में लोगों को सहयोग की जरूरत होती है, वह जो कर सकती है, कर रही हैं. चुनावी प्रक्रिया से वार्ड सदस्य बनने की बात पर उर्मिला कहती है कि उनके विरोध में कई प्रत्याशी खड़े हुए. लेकिन वह लोगों के द्वारा ही चुनाव में उतारी गई थी. लोगों ने खूब वोट दिए और जीत गईं. 

उर्मिला देवी कुशल नाविक होने के साथ एक अच्छी तैराक भी हैं. यदि नदी में किसी के डूबने की बात सुनती हैं तो गोताखोर या एसडीआरएफ की टीम के आने का इंतजार नहीं करती है. खुद नदी में कूद डूबते लोगों को बचा लेती हैं. दरअसल उर्मिला का जन्म भी कोसी के इलाके में ही हुआ और बड़ी होने के बाद उसकी शादी भी कोसी में ही हुई. उर्मिला का मायका खगड़िया जिले के बेलदौर में है और वह बनमा ईटहरी के हराहरी गांव में ब्याही गई हैं. अभाव में पलने-बढ़ने और जीवन गुजारने के बाद भी उर्मिला के हौसले आसमान पर है. अपने सभी बच्चों को पढ़ा रही हैं.गांव के लोग भी उर्मिला से काफी खुश हैं. क्योंकि मुश्किल के समय में वही सहारा बनती हैं. गांव के लोगों कहते हैं कि लोगों के वोट से जीतने के बाद यदि नेता बने लोगों को उर्मिला देवी की तरह जनप्रतिनिधि होने का एहसास हो जाए और वे मदद की भावना रखें तो समाज में उनका मान बढ़ जाएगा.

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