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चीन और भारत की सेना विवादित सीमा से पीछे हटने के लिए हुई तैयार – आज की बड़ी ख़बरें

चीन और भारत की सेना विवादित सीमा से पीछे हटने के लिए हुई तैयार – आज की बड़ी ख़बरें

भारत और चीन के रिश्तों में जारी तनाव के बीच दोनों देशों के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा है कि भारतीय सेना और चीनी सेना के अधिकारी विवादित ज़मीन से पीछे हटने के लिए तैयार हो गए हैं.

Image Courtesy बीबीसी

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, एक भारतीय अधिकारी ने कहा है कि “दोनों पक्षों में पीछे हटने को लेकर आपसी सहमति बन गई.”

एजेंसी के मुताबिक़, सोमवार को 11 घंटे तक सीमा पर चली बैठक में ये नतीजा सामने आया है.

इससे पहले सीमा पर दोनों पक्षों के बीच 15 जून को हुए झगड़े में बीस सैनिकों की मौत हो गई थी.

इसके बाद से भारत में चीन विरोधी रुख़ सामने आ रहा है. भारतीय नागरिकों में चीनी उत्पादों के बहिष्कार करने से लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिशें सामने आ रही हैं.

सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक से क्या होगा?

हालांकि, ये बात सही है कि चीन और भारत के सैन्य अधिकारियों के बीत समझौता होने से सीमा पर तनाव कम हो सकता है.

लेकिन भारत में चीन के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह दिखाने का दबाव है कि वो चीन के सामने झुके नहीं.

वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता चाओ लिजिआन ने कहा है कि दोनों ही पक्ष शांति की दिशा में क़दम उठाने के लिए तैयार हो गए हैं.

चाओ ने कहा है, “इस मीटिंग में दोनों पक्षों ने पहली आर्मी कमांडर लेवल मीटिंग के आधार पर सीमा के प्रबंधन और नियंत्रण संबंधी मुद्दों पर गहनता से विचारों का आदान प्रदान किया है. इसके साथ ही दोनों पक्ष तनाव कम करने के लिए ज़रूरी क़दम उठाने के लिए राज़ी हो गए हैं.”

जब उनसे ये पूछा गया कि क्या इसका मतलब ये निकाला जाए कि दोनों ही ओर से सेनाएं वापस आएंगी. इस पर चाओ ने कहा कि “सीमा पर दोनों पक्षों की ओर ज़रूरी क़दम उठाए जा रहे हैं.”

लेकिन अब तक दोनों ओर से ये स्पष्ट नहीं किया गया है कि तनाव कम करने की प्रक्रिया में किस तरह के कदम उठाए जाएंगे.

चीन से तनाव के बीच भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वो अपने दिल्ली स्थित उच्चायोग से सात दिनों के भीतर डिप्लोमैटिक स्टाफ़ में 50 फ़ीसदी की कटौती करे.

भारत का आरोप है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग जासूसी में लगा हुआ है. भारत ने कहा है कि वो इस्लामाबाद में भी अपने दूतावास से स्टाफ़ की संख्या आधी करेगा. भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को यह जानकारी दी है.

पाकिस्तानी अख़बार डॉन के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से 50 फ़ीसदी स्टाफ़ को जाने के लिए कहा है. पाकिस्तान ने पिछले साल अगस्त में इस्लामाबाद उच्चायोग से भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेज दिया था.

तब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था और पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा था. दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कुल 83 अधिकारी और कर्मी हैं. डॉन के अनुसार इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में 100 के क़रीब स्टाफ़ हैं.

भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा है कि भारत ने ये क़दम चीन के साथ चल रहे तनाव से ध्यान हटाने के लिए किया है. बासित ने कहा कि भारत में सरकार पर लोगों का दबाव है और इसीलिए ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया गया है.

हाल ही में इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के दो स्टाफ को पाकिस्तान ने हिरासत में ले लिया था. पाकिस्तान का कहना था कि 15 जून को एक सड़क दुर्घटना के मामले में हिरासत में लिया गया था. हालांकि भारत ने पाकिस्तान पर भारतीय उच्चायोग के कर्मियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. भारत ने कहा था कि पाकिस्तान की पुलिस ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था.

भारत ने कहा था, ”पाकिस्तान का व्यवहार वियना संधि और द्विपक्षीय संबंधों के अनुकूल नहीं है. यह नियमों का खुला उल्लंघन है और पाकिस्तान तत्काल इसे रोके.”

भारत का दावा है कि 31 मई 2020 को पाकिस्तान के दो अधिकारियों को जासूसी करते रंगे हाथों पकड़ा था जिसके बाद उन्हें भारत छोड़ने का आदेश दिया गया था. विदेश मंत्रालय ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि पाकिस्तान के अधिकारियों का यह व्यवहार वियना संधि का उल्लंघन है.

News Credit बीबीसी

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