बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रही हिंसा को लेकर बांग्लादेश में भारत की पूर्व राजदूत वीना सीकरी ने देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है. सीकरी की टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब हाल ही में बांग्लादेश इस्कॉन से जुड़े हिंदू पुजारी और एक हिंदू संगठन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है. इस गिरफ्तारी के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है.
वीना सीकरी ने कहा कि बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती जा रही है और सरकार अपने नागरिकों, खास तौर पर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मुश्किलों का सामना कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगस्त में जब छात्र आंदोलन के कारण शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा था तब अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़ गए थे. इसे लेकर भारत में भी चिंता देखने को मिली थी. उस समय भारत की चिंता पर बांग्लादेशी अधिकारियों समेत अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था.
सीकरी ने कहा, ‘5 अगस्त को, जिस दिन प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर चली गईं, हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ पहला हमला किया गया. प्रो. यूनुस जैसे प्रमुख लोगों के आश्वासन के बावजूद ये घटनाएं अब भी जारी हैं. मूर्तियों की तोड़फोड़ और मंदिरों पर हमले जैसी घटनाएं हो रही हैं.’
‘चिन्मय दास ने बांग्लादेशी झंडे का अनादर नहीं किया’
चिन्मय दास पर आरोप है कि उन्होंने एक रैली में बांग्लादेशी झंडे का कथित तौर पर अपमान किया है. आरोप है कि उन्होंने बांग्लादेशी झंडे के ऊपर सनातनी झंडा लगा दिया. लेकिन मीडिया हाउस ब्लिट्ज के संपादक सु शोएब चौधरी का कहना है कि जिस झंडे पर सवाल उठाया गया है वह बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज नहीं था. उन्होंने बांग्लादेशी झंडे के अपमान की बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया.
उनका कहना है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है, जिसे सरकार ने नहीं बल्कि बीएनपी के एक नेता ने दायर किया है. उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को दास की गिरफ्तारी के बाद से हिंदू घरों और मंदिरों पर हिंसक हमले हुए हैं और देश में भारत विरोधी भावना बढ़ रही है जिसे इस्लामी समूह हवा दे रहे हैं.
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