आज 14 अप्रैल है. हर साल आज की ही तारीख में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है. सरकार से लेकर राजनीतिक दल अंबेडकर जयंती पर उन्हें याद करते हैं. अपनी-अपनी तरह से, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक फैसले ने सबको चौंका दिया है. खासकर दलित बिरादरी का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा है. योगी के इस फैसले की चर्चा हो रही है, क्योंकि दलित बस्ती से लेकर हर जिले और कस्बे तक इस फैसले का असर दिख रहा है.
योगी सरकार ने 14 अप्रैल के पहले यानी 13 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की सभी मूर्तियों, उनके जुड़े तमाम सरकारी और गैर सरकारी स्मारकों की मरम्मत, रखरखाव और रंग-रोगन का आदेश दिया और 13 अप्रैल तक सभी जनपदों में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती से पहले इसे पूरा करने के आदेश दिए.
अधिकारियों को दिए गए थे निर्देश
यही नहीं, सभी सरकारी अधिकारियों को खुद जाकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि बाबा साहब से जुड़ा कोई भी स्मारक छूटना नहीं चाहिए. सभी का रंग-रोगन मरम्मत और लाइटिंग पूरी हो. सभी कस्बों और बस्तियों में भी अगर बाबा साहब की प्रतिमा लगी है तो अधिकारी वहां जाकर खुद इसकी साफ-सफाई करवाएं और रंग-रोगन सुनिश्चित करें.
इस फरमान का असर यह हुआ कि हर जनपद में घूम-घूम कर सरकारी अधिकारी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की सभी प्रतिमा और स्मारकों को साफ सुथरा कराते दिखे. चंदौली से लेकर मुजफ्फरनगर और महाराजगंज से लेकर झांसी तक सरकारी बाबुओं की यह ड्यूटी दलित बस्तियों तक दिखाई दी.
सरकारी महकमे के लोग पहुंचे और करवाई साफ-सफाई
कई दलित बस्तियों में जब अचानक ही सरकारी महकमे के लोग पहुंचे और बाबा साहब की प्रतिमा की साफ-सफाई और रंग रोगन कराने लगे तो दलित बस्तियों के लोग भी चौंक पड़े. हालांकि हर बार 14 अप्रैल के पहले बाबा साहब की प्रतिमा और स्मारकों को साफ किया जाता था, लेकिन ज्यादातर स्थानीय लोग या दलित संगठन इस काम को करते थे लेकिन इस बार खुद सरकार ने इसका जिम्मा उठाया और अपने अधिकारियों को लगाकर बाबा साहब की प्रतिमा और स्मारकों को साफ सुथरा कराया है.
मुख्यमंत्री योगी के इस सरकारी कदम की तारीफ दलित बस्तियों में हो रही है कि मायावती के बाद पहली बार किसी सरकार ने बाबा साहब के स्मारकों को लेकर सुध ली है.
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